Land Right Campaign (Choupal Program)
12-Aug-2015
अलवर जिले में दलित अधिकार केन्द्र, जयपुर द्वारा ‘‘दलित भूमि अधिकारों‘‘ संचालित अभियान के आयोजन की रिपोर्ट
1-
अम्बेडकर भवन, कोटकासिम, जिला अलवर
5 अगस्त 2015
2-
6 अगस्त 2015
प्रातः 10.30 से 4.00 बजे तक
पंचायत समिति संभागार, लक्षमणगढ, जिला अलवर
7 अगस्त 2015
प्रातः 10.30 से 4.00 बजे तक
अग्रवाल धर्मषाला, रोडवेज बस स्टेण्ड के पास, अलवर
प्रातः 10.30 से 4.00 बजे तक
विरों का उद्घाटन दलित अधिकार केन्द्र के मुख्य कार्यकारी श्री पी.एल.मीमरौठ द्वारा किया गया। चौपाल कैम्प में श्री चन्दा लाल बैरवा, कार्यक्रम समन्वयक, श्री बनवारी लाल मीमरौठ, एडवोकेट, जिला समन्वयक, दलित अधिकार केन्द्र अलवर, श्री मीठा लाल जाटव, एम.आई.एस. समन्वयक, दलित अधिकार केन्द्र, जयपुर ने भाग लिया।
क्र.सं.
प्रकरण का प्रकार
कुल
23
1
मुण्डावर
भूमि पर पर अतिक्रमण
13
2
पट्टा की मांग करने का प्रकरण
2
3
बी.पी.एल.सूची में जोडना व वृद्वा अवस्था पेषन
2
4
रिकार्ड में संषोधन करवाना
2
5
षौचालय निर्माण की राषि स्वीकृत करवाना
1
6
भूमि आवंटित करवाना
3
7
प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नही करना
1
8
दलितों के मौहल्ले में रोड निर्माण
1
9
नामांतरण खोलना
1
10
हैण्डपम्प ठीक करवाना
1
कुल
10
1
अलवर
भूमि पर अतिक्रमण
4
2
मन्दिर निर्माण का मामला
1
3
दलित के मकान पर किरायेदार द्वारा कब्जा
1
4
भूमि कुर्क करना
1
]5
खातेदारी अधिकार देना
7
6
रास्ते का विवाद
1
7
आवासीय प्लाटों का मुआवजा
1
8
भूमि का पट्टा दिलवाना
1
9
कुल
17
भूमि अधिकार चौपालों में निम्न प्रकार की समस्याऐं / अनुभव सामने आईः-
2. धारा 183 (सी) में कड़े प्रावधान किये गये हैं कि अगर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति की भूमि पर कोई कब्जा करता है तो या 1992 से पूर्व कब्जे में है और तहसीलदार द्वारा 15 दिन का नोटिस दिये जाने के बावजूद भी कब्जा नहीं छोड़ता है तो ऐसे अतिक्रमणकारी के खिलाफ तहसीलदार प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है। लेकिन उक्त प्रकरणों में तहसीलदार ने कोई कार्यवाही नही की।
4. भूमि आवंटित होने के 40 वर्ष से अधिक समय के बाद भी खातेदारी अधिकार नही मिले।
6. भूमि का सीमाज्ञान नही किया जाता।
8. दलितों के लिए षमषान घाट की कोई व्यवस्ािा नही है। दबंग लोग अपने षमषान घाट में दाह संस्कार करने नही देते।
10. दलितों की भूमि का नामांतरण नही खोला जाता।
12. दलितों की अन्य मूलभूत आवष्यकताओं से सम्बन्धित षिकायते भी प्राप्त हुई जैसे दलितों के मौहल्ले में हैण्डपम्प को ठीक नही करना,
दलित भूमि अधिकार चौपाल में आई समस्याओं के आधार पर दलित अधिकार केन्द्र जयपुर में मौजूदा भूमि सुधार प्रावधानों को और प्रगतिषील बनाने के लिए तथा इन्हें अधिक कारगर बनाने के लिए व राज्य में प्रभावी ढंग से लागू करने का सुझाव निम्न प्रकार हैः-
1. राजस्थान राज्य राजस्व भूमि (कृषि परियोजनार्थ आवंटन) नियम 1970 के अन्तर्गत भूमिहीन गरीबों के सरकारी भूमि /सिवाई चक भूमि के अनापत्तिजनक अधिपत्य का नियमित किया जाए।
3. गैर एस.सी./एस.टी. को अधिकारों के हस्तांरिण पर पूर्ण रूप् से रोका जाए। गैर एस.सी./एस.टी. करे अधिकारों के हस्तांतरण पर पूर्ण रूप से रोका जाए । राजस्थान पट्टादारी अधिनियम 1955 की धारा 22 को लागू करने अनुसूचित जातियों से गैर अनुसूचित जातियों का अवैध रूप से हस्तांतरित की गई भूमि की पहचान करने और उसे बहाल करने के लिए समयबद्व कार्यवाही की जाए और ऐसे गैर अनुसूचित /जनजाति के लोगो के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जावे। जिन्होने राजस्थान पट्टादारी अधिनियम 1955 की धारा 42 बी तथा अनुसूचति जााित और अनुसूचित जन जाति (अत्त्याचार निवारण) अधिनियम 1989 धारा 3(1)(पट) 3(1)(ट) के अन्तर्गत अवैध रूप से भूमि प्राप्त की है। राजस्थान टेनेन्सी एक्ट 1955 की धारा 42 बी एवं 42 बी के उल्लंघन करके हस्तांतरित की गई भूमि को धारा 175 में सरकारी करने का प्रावधान भी है। धारा 183 बी का उपयोग करके अनुसूचित जाति/जनजाति की भूमि पर कब्जा करने वालों का सख्ती व तत्परता से बेदखल किया जावे।
5. राजस्थान राज्य राजस्व भूमि (कृषि प्रयोजनार्थ आवंटन) नियम 1970 की धारा 20 पर पुनविचार किया जाए और केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो और सीमांत समुदाय के कब्जे वाली भूमि के मामलों का ही नियमित करने की अनुमति दी जाए। भूमि का स्वामित्व परिवार की वयस्क महिला के नाम पर दिया जाए।
7.7.
(चन्दा लाल बैरवा)
कार्यक्रम समन्वयक
दलित अधिकार केन्द्र, जयपुर